सौरभ बहुगुणा धामी मंत्रिमंडल के युवा कैबिनेट मंत्री हैं। उनके पास कौशल विकास, पशुपालन, दुग्ध विकास, गन्ना विकास, मत्स्य व प्रोटोकॉल विभाग का जिम्मा है। मंत्रालय मिलने से पहले उनकी खेल खिलाड़ी की पृष्ठभूमि रही। लेकिन मंत्री बनने के बाद जो विभाग उन्हें मिले, उनके बारे में कोई अनुभव नहीं था।
वह कहते हैं, शुरुआत में अफसर मुझे जो बताते थे, मैं उन्हें सच मानता था। लेकिन वक्त के साथ मैंने अपने काम के अंदाज को बदला और अपने महकमों की हकीकत को समझने के लिए इनकी नब्ज ढूंढनी शुरू की।
सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के जरिये मैं पशुपालकों के बीच पहुंचा और उन्हीं के सुझावों के आधार पर नीतियों में बदलाव कराकर पारंपरिक ढर्रे पर चली आ रही व्यवस्था को बदलने का प्रयास किया। इन्हें नए जमाने और भविष्य की नई संभावनाओं के अनुरूप बनाने में कोशिशें जारी हैं।
अमर उजाला के देहरादून कार्यालय पहुंचे सौरभ बहुगुणा से टीम अमर उजाला के राकेश खंडूडी, भूपेंद्र राणा, आफताब आजमत, अलका त्यागी और रेनू सकलानी ने उनके महकमों से जुड़े कुछ मसलों पर सवाल किए। यहां पेश है उनसे बातचीत के दौरान पांच प्रमुख सवालों के जवाब।
अमूल और मदर डेयरी को टक्कर देगा अपना आंचल
सवाल-1. प्रदेश में आंचल से ज्यादा अमूल, मदर डेयरी का दूध पसंद किया जाता है। प्रतिदिन प्रदेश में 5 लाख लीटर दूध बाहरी राज्यों से आ रहा है। आंचल दूध की गुणवत्ता में कमी है या मार्केटिंग की रणनीति नहीं है।
जवाब: ग्रामीण आर्थिकी में दुग्ध व्यवसाय की अहम भूमिका है, लेकिन इस क्षेत्र में कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। जब मैंने विभाग की जिम्मेदारी संभाली तो मैं भी हैरान था कि 13 जिलों में आंचल ब्रांड अलग-अलग लोगो से बिक रहा है। राज्य गठन के बाद से 2000 तक दुग्ध उत्पादकों से खरीदे जाने वाले दूध की कीमत में 1.50 रुपये हर साल बढ़ोतरी होती थी।
एक ब्रांडेड पानी की बोतल और दूध के रेट बराबर होते थे। मैंने सबसे पहले दुग्ध उत्पादकों को दूध का उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया। 8 से 12 रुपये प्रति किलो तक रेट बढ़ाए। आज उत्पादकों को 45-46 रुपये प्रति किलो दाम मिल रहे हैं। आंचल दूध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अमूल, मदर डेयरी, वेरका कंपनियों से विशेषज्ञों को लिया।
अब आंचल दूध की गुणवत्ता अन्य कंपनियों से बेहतर है। आंचल अब दूध ही नहीं उससे बनने वाले फ्लेवर्ड मिल्क, आइसक्रीम, पनीर, दही, घी भी तैयार कर रहा है। पशुचारे की समस्या को देखते हुए सरकार भूसे पर 50 प्रतिशत और साइलेज पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए गंगा गाय योजना में पशु खरीदने को दी जाने वाली सब्सिडी 33 प्रतिशत से बढ़ा कर 75 प्रतिशत की गई है।
राज्य में नहीं जापान, आयरलैंड, लंदन व जर्मनी में भी दिलाएंगे रोजगार
सवाल-2 : युवाओं के कौशल विकास के लिए केंद्र व प्रदेश की योजनाएं चल रही हैं। ऐसे में कितने युवाओं को इन योजनाओं का लाभ मिला है। कौशल विकास केंद्रों के फर्जीवाड़े रोकने को क्या इंतजाम किए गए हैं?
जवाब: जब मैंने कार्यभार संभाला तो पता चला कि प्रदेश में उन विषयों का भी कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिनकी मांग ही नहीं है। कोर्स करने के बाद भी युवा बेरोजगार हैं। हमने एक नीति बनाई, जिसके तहत ये तय किया कि प्रदेश में जिन कोर्स की जरूरत है, उनके डोमेन एक्सपर्ट ही प्रशिक्षण देंगे। जहां डोमेन एक्सपर्ट नहीं मिलेंगे, वहां स्थानीय विशेषज्ञों से केवल आईटीआई में ही प्रशिक्षण दिलाएंगे ताकि फर्जीवाड़ा न हो। अभी तक सेवायोजन व अन्य विभागों के 4000 युवाओं को रोजगार मिल चुका है। 4500 से ज्यादा युवाओं को अप्रेंटिस करने का मौका मिला है। 31 युवाओं को हम जापान में एलडरली केयर (बुजुर्गों की देखभाल) के लिए भेज रहे हैं जबकि आयरलैंड, लंदन व जर्मनी के लिए भी प्रयास शुरू किए जा चुके हैं।
कंपनियां प्रशिक्षण के साथ देंगी नौकरियों की गारंटी
सवाल-3: उद्योगों की मांग के हिसाब से युवाओं को रोजगार मिले, इस दिशा में क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब: हमने अशोक लीलैंड कंपनी से करार किया है, जिसके तहत वह हर साल हमारे आईटीआई में इनहाउस प्लेसमेंट करेगा। लगातार तीन साल तक हर साल एक-एक हजार युवाओं को यह कंपनी नौकरी देगी। इस साल 650 को शॉर्टलिस्ट किया गया है। आईटीआई रोशनाबाद को फिलिप्स व काशीपुर को स्नाइडर ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया है। फिलिप्स ने 21 युवाओं को भर्ती किया है, जिन्हें 24 हजार रुपये तक वेतन मिल रहा है। अब हम टाटा के साथ एमओयू कर रहे हैं, जिससे वह 13 आईटीआई चलाएगा और यहां उद्योगों की मांग के हिसाब से ट्रेड व तकनीकी उपलब्ध कराएगा। इस पर 350 करोड़ रुपये टाटा और 70 करोड़ राज्य सरकार खर्च करेगी। यहां से पासआउट सभी छात्रों को टाटा कंपनी ही नौकरी देगी। आईटीआई बागेश्वर को हम अशोक लीलैंड को दे रहे हैं। 10 आईटीआई को फिलिप्स सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाएगा।
ट्राउट उत्पादन 50 से 600 क्विंटल पहुंचा
सवाल-4: ट्राउट फिश उत्पादन में हिमाचल का नाम है। उत्तराखंड इस क्षेत्र में पीछे है। आप इसकी क्या वजह मानते हैं। सरकार की ट्राउट फार्मिंग में स्वरोजगार से बढ़ाने के लिए क्या योजना है?
जवाब: ट्राउट फार्मिंग में हिमाचल इसलिए आगे है कि वहां 90 के दशक में ट्राउट फार्मिंग शुरू हुई। उत्तराखंड में इसकी शुरूआत 2013 में हुई। ट्राउट फार्मिंग के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। रेसवेज निर्माण, सीड पर सब्सिडी दी जा रही है। जहां पहले प्रदेश में 50 क्विंटल ट्राउट फिश का उत्पादन होता था। वहीं पिछले एक-डेढ़ साल में 600 क्विंटल तक उत्पादन पहुंच गया है। 2500 किसान परिवार ट्राउट फार्मिंग कर रहे हैं। पिथौरागढ़ जिले के डुंगरी में 90 परिवार ट्राउट फार्मिंग से जुड़े हैं। सरकार ने मत्स्य पालकों को कृषि की तर्ज पर 2.25 रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का निर्णय लिया है। ट्राउट की मार्केटिंग के लिए उत्तरा फिश आउटलेट और मोबाइल वैन संचालित की जा रही है। ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज में 88 करोड़ की लागत से एक्वा पार्क बनाया जा रहा है। जहां पर किसानों को मछली पालन की ट्रेनिंग दी जाएगी।
पिथौरागढ़ में उगाया 2000 क्विंटल आर्गेनिक गन्ना
सवाल-5: सरकार ने पहाड़ में गन्ना उगाने की बात कही थी? क्या इस दिशा में कोई कदम उठाया गया?
जवाबः पर्वतीय क्षेत्रों में जहां पर तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहां गन्ने की खेती की जा सकती है। पिथौरागढ़ जिले में दो हजार क्विंटल आर्गेनिक गन्ने का उत्पादन किया गया। इस गन्ने को चीनी मिलों पर नहीं बेचा गया, बल्कि जूस के रूप में इस्तेमाल किया गया। इससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार मिला। सरकार ने भी उन्हें गन्ना जूस निकालने की मशीनें उपलब्ध कराईं। अब चमोली व अन्य जिलों में भी गन्ने की खेती की योजना है।
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डोईवाला चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने का निर्णय नहीं
मंत्री बहुगुणा के मुताबिक, डोईवाला चीनी मिल को पीपीपी मोड पर देने का सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। न ही चीनी मिल को बंद करने का कोई इरादा है। घाटे में चल रही चीनी मिलों को फायदे में लाने के लिए बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई थी। सितारगंज चीनी मिल को 33 साल के लिए लीज पर दिया गया है। इससे सरकार को हर साल दो करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा।
सिफारिश पर नहीं योग्यता के आधार पर देंगे नौकरी का मौका
जब भी बेरोजगारी का प्रश्न आता है, तो सवाल कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग से पूछा जाता है। लेकिन यह विभाग केवल पंजीकरण तक सीमित है, जबकि रोजगार देने के लिए प्रदेश में अन्य आउटसोर्स एजेंसियां हैं। इसे देखते हुए हम प्रयाग पोर्टल लाए। हम इन सब आउटसोर्सिंग एजेंसियों की तरह नहीं हैं। हमारे पास आठ लाख युवा बेरोजगार पंजीकृत हैं। अगर कोई विभाग कोई भर्ती निकालेगा तो उसके पद की अर्हता के हिसाब से संबंधित युवाओं को इसकी सूचना भेजी जाएगी। विभाग को हम एक पद के सापेक्ष पांच युवाओं के नामों की सूचना भेजेंगे, जिनमें से उसे किसी एक को चुनने में आसानी होगी। प्रयाग पोर्टल आउटसोर्सिंग भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा। अब किसी सिफारिश वाले को पद के सापेक्ष मौका नहीं मिलेगा बल्कि आठ लाख बेरोजगार युवाओं को दावेदारी का मौका मिलेगा।
महक रहा उत्तराखंड का घी, अमेजन पर बिक रहा 4000 रुपये किलो
हमने बदरी गाय के दूध से बने घी की ब्रांडिंग की। इसकी पूरे देश में डिमांड हैं। अमेजन पर यह 4000 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। इससे हमें भी मुनाफा हुआ है।
दादा ने बनाया, नाती संवारेगा
वर्ष 1972 में कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा के दादा हेमवती नंदन बहुगुणा ने गैरसैंण के भराड़ीसैंण में पशु प्रजनन केंद्र स्थापित किया था। प्रजनन केंद्र की काफी जमीन विधानसभा परिसर के निर्माण में चली गई। वर्तमान में प्रजनन केंद्र सिर्फ नाम का है। यहां तैनात कर्मचारियों को ऋषिकेश में तैनात किया गया। बहुगुणा कहते हैं, यह संयोग है कि उन्हें अपने दादा की निशानी को संवारने का अवसर मिला है। मेरा प्रयास है कि भराड़ीसैंण में बदरी गाय की नस्ल के संरक्षण और शोध के लिए सेंटर बनाया जाए। विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
घर-द्वार पर मिलेगी पशुओं के इलाज की सुविधा
प्रदेश के पशुपालकों को घर-द्वार पर ही पशुओं का इलाज और टीकाकरण के लिए पहली बार सरकार ने वेटनरी एंबुलेंस की सेवा शुरू की है। वर्तमान में प्रदेश भर में 65 एंबुलेंस संचालित है। जिसमें 1962 पर कॉल कर पशुओं के इलाज की सुविधा घर-द्वार पर दी जा रही है। इस सेवा में अब तक 31 हजार पशुओं का इलाज किया गया। डॉक्टर की कमी को दूर करने के लिए 70 डॉक्टर संविदा के माध्यम से तैनात किए जा रहे हैं। इसके अलावा ग्रेड-2 के 91 पदों का प्रस्ताव लोक सेवा आयोग को भेजा गया है। 350 पशुधन प्रसार अधिकारियों को आउटसोर्स से रखा जा रहा है।
सेल्फी विद एनिमल अभियान में गजब का रिस्पांस
मंत्री सौरभ बहुगुणा की पहल पर सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशुओं के संरक्षण और पशु क्रूरता रोकने के लिए सोशल मीडिया पर सेल्फी विद एनिमल अभियान शुरू किया गया, जिसमें पशु प्रेमियों ने गजब का उत्साह दिखाया। प्रदेश भर से पशु प्रेमियों ने फोटो के साथ अपनी कहानियों को साझा किया। प्रत्येक जिले से तीन विजेताओं का चयन किया गया। नवंबर माह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विजेताओं को सम्मानित करेंगे।
गोट वैली योजना से एक हजार किसान परिवार जुड़े
भेड़ बकरी पालन से स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने गोट वैली योजना शुरू की है। जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर व चमोली जिले में गोट वैली बनाए गए हैं। अब तक एक हजार परिवार योजना से जुड़े हैं। जिसमें बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए 21 बकरियां दी जा रही हैं।